प्रतिदिन पूजा करना क्यों जरुरी है?
प्रतिदिन पूजा करना एक आदर्श और स्वयंसेवी जीवन के अंग होता है। इसके लाभ व्यक्तिगत होते हैं और जो आपकी आध्यात्मिक और मानसिक स्थिति पर निर्भर करेंगे।
अपने मन की शांति, अपने परिवार में सामंजस्य की भावना विकसित करने हेतु पूजा करना बहुत आवश्यक है. हमने अक्सर लोगों को झगड़ते देखा है. एक दुसरे को निचा दिखने की कोशिश में लोग दिन रात लगे रहते हैं. हम एक दूसरे के दुःख में शामिल होने के बजाये एक दूसरे को गिराने के चकर में पड़े रहते हैं. यह एक हमारे देश की विडमबना ही है की हमारा देश ऋषि मुनियों का देश होने के बावजूद हम इस तरह के घृणित विचारधारा में डूबे हुए हैं. लोगों के अंदर आंतरिक तृप्ति नहीं है तभी तो हमारे अंदर इस तरह की भावना विकसित है.
इसलिये जरुरी है की नित्य नहा धोकर हम अपने ईश्वर की उपासना करें. ईश्वर की उपासना व्यर्थ नहीं जाता है, कही न कही, किसी न किसी रूप में हमें उसका फल जरूर मिलता है. ईशर की जब हम उपासना करते हैं है तो हमारे मुख से जो मंत्र की प्रतिध्वनि वातावरण में गूंजती है तो वातावरण में एक सकारात्मक ऊर्जा का समावेश होता है और हम उर्जावान बनते हैं. हमारा मस्तिष्क पहले से बेहतर तरीके से काम करते है.
पूजा करने से क्या लाभ मिलेगा?पूजा करने से आपको निम्नलिखित लाभ प्राप्त हो सकते हैं:1. आत्मिक शक्ति और अंतरंग शांति:पूजा आपको अपनी आंतरिक शक्ति से जोड़ने और मन को शांत करने में मदद करती है। यह आपको मानसिक स्थिरता, ध्यान और आत्मिक शांति का अनुभव कराती है।2. आध्यात्मिक विकास:पूजा आपको अपने आध्यात्मिक संपूर्णता की ओर प्रेरित करती है। यह आपको ईश्वरीय संबंधों को मजबूत करने, आध्यात्मिक अनुभवों को बढ़ाने और आत्म-साक्षात्कार को संभव बनाने में मदद करती है।
3. धार्मिक संवाद:पूजा आपको ईश्वर के साथ संवाद करने का अवसर प्रदान करती है। यह आपको अपनी भक्ति, आराधना और विश्वास को व्यक्त करने का मौका देती है और आपकी धार्मिक साधना को स्थायी बनाने में मदद करती है।
4. मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य:पूजा एक ध्यान केंद्रित क्रिया है जो आपके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है। यह मानसिक तनाव को कम करने, मन को शांत करने, और स्थिरता एवं स्वस्थ मनोवृत्ति का विकास कर सकती है।5. सामाजिक संबंध:पूजा आपको धार्मिक संगठनों में संजोग बनाने और समुदाय के सदस्यों के साथ संबंध बनाने का एक अवसर प्रदान कर सकती है। यह आपको सामाजिक अनुबंधों, संस्कृति और परंपराओं के साथ जोड़ सकती है।पूजा के लाभ व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर भिन्न हो सकते हैं और धर्मानुसार भी बदल सकते हैं। पूजा धार्मिक आदर्शों और आपकी नियमितता के साथ संबंधित होती है, जिससे आप उसके अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
पूजा करने की सामान्य विधिपूजा करने की विधि अलग-अलग धर्म और परंपरा के अनुसार थोड़ी भिन्न हो सकती है. . यहाँ मैं एक सामान्य विधि बताता हूँ जो हिन्दू धर्म में प्रयोग की जाती है:
1. संकल्प:
पूजा शुरू करने से पहले अपने मन में संकल्प लेना है. इसमें आपको पूजा का उद्देश्य, समय, तिथि, और स्थान का संकल्प लेना होता है.
2. ध्यान:
पूजा शुरू करने से पहले ध्यान में बैठकर मन को शुद्ध करें. अपने आप को ईश्वर की उपस्थिति में महसूस करें.
3. आसान स्थापना:
ईश्वर के लिए आसन तैयार करें. इसके लिए सफ़ेद कपडा इस्तेमाल कर सकते हैं और उस पर चौकी रखकर पूजा स्थल सजायें.
4. कलश स्थापना:
पूजा स्थल पर एक कलश रखें, जिसमे पानी भर कर सुपारी, चन्दन, हल्दी, फूल और अक्षत (चावल) रखें. कलश पर मौली बांधे और उसमें पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और मिश्री) डालें.
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5. दीपक जलना:
एक दीया लेकर घी या तेल डालें और उसे जलाएं. दीपक ईश्वर की प्रकट हो रही ज्योति को दर्शाता है.
6. प्राणायाम:
शुद्ध होकर प्राणायाम करें, जैसे अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, या ओमकार.
7. मंत्र पाठ:
पूजा के दौरान मंत्र पाठ करें, जिसमें आप ईश्वर की स्तुति और प्रार्थना मंत्र पढ़ सकते हैं. आप अपने इष्ट देवता के मंत्र भी पढ़ सकते हैं.
8. पुष्पांजलि:
पुष्प (फूल) लेकर ईश्वर की आराधना करें. अपने हाथ बांध कर मंत्र पढ़कर फूल ईश्वर की और प्रदान करें.
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9. आरती:
आरती करने के लिए दीपक को घुमाएं और मंत्र पढ़ें. आरती के दौरान घंटी बजाएं और ईश्वर की प्रकट हो रही ज्योति को देखकर आरती करें.
10. प्रसाद वितरण:
पूजा समाप्त होने पर प्रसाद (मिठाई, फल, पकवान) को ईश्वर को अर्पण करें और फिर उसे प्रसाद के रूप में भक्तों में बांट दें.
यह एक सामान्य विधि है, लेकिन पूजा विधि और नियम धर्म के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं. आप अपने परंपराओं और धर्म के अनुसार विधि को और भी व्यापक बना सकते हैं.
घर में पूजा कैसे करें
पूजा एक पावन और आध्यात्मिक क्रिया है जिसे हिंदू धर्म में विशेष महत्व दिया जाता है। यह आत्मिक शक्ति के साथ संबंध बनाने, ध्यान केंद्रित करने और ईश्वर के साथ संवाद करने का एक तरीका है। निम्नलिखित चरणों को ध्यान में रखते हुए आप अपने घर में पूजा कर सकते हैं:
1. स्नान और पवित्रता:
पूजा करने से पहले, आपको स्नान करना चाहिए और पवित्रता में वस्त्र पहनना चाहिए। यह आपको आत्मिक शुद्धि देगा और आपको पूजा की समारोह में सक्रिय करेगा।
2. पूजा स्थल:
एक पूजा स्थल तैयार करें, जैसे कि मंदिर, पूजा कक्ष, या किसी अन्य शांत और पवित्र स्थान। यह एक जगह होनी चाहिए जहां आप नियमित रूप से पूजा कर सकें।
3. पूजा सामग्री:
पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे कि दीपक, धूप, अगरबत्ती, कपूर, सुपारी, पुष्प, नैवेद्य, गंध, पुष्पमाला, मोली, रोली, चावल, नमक, नींव, घी, दूध, फल, खीर, और पानी की कलश आदि को तैयार रखें।
4. पूजा के विधान:
ध्यान केंद्रित करने के लिए मंत्रों का जाप करें और आप इच्छा कर सकते हैं कि विशेष मंत्र या ध्यान की पद्धति का उपयोग करें। अपने ईश्वर को अपनी आराधना, वंदना, गान या कविता के माध्यम से प्रकट करें।
5. आरती:
पूजा के अंत में, आरती का आयोजन करें। आरती करने के लिए दीपक को घुमाएं और आरती गान के साथ उसे देवता के सामने ले जाएं।
6. प्रसाद:
पूजा के बाद, प्रसाद को देवी-देवता को चढ़ाएं और फिर उसे खुद और अन्य लोगों को भोग लगाएं।याद रखें, पूजा आपकी भावना और आदर्शों का व्यक्तिगत अनुभव है, इसलिए यहां उल्लेखित चरणों को अपनी आवश्यकताओं और परंपरा के अनुसार अनुकरण करें। यह आपको आंतरिक शांति, संतोष, और आध्यात्मिक संपूर्णता का अनुभव कराएगा।
पूजा करने से क्या लाभ मिलेगा? पूजा करने से आपको निम्नलिखित लाभ प्राप्त हो सकते हैं: 1. आत्मिक शक्ति और अंतरंग शांति: पूजा आपको अपनी आंतरिक शक्ति से जोड़ने और मन को शांत करने में मदद करती है। यह आपको मानसिक स्थिरता, ध्यान और आत्मिक शांति का अनुभव कराती है। 2. आध्यात्मिक विकास:पूजा आपको अपने आध्यात्मिक संपूर्णता की ओर प्रेरित करती है। यह आपको ईश्वरीय संबंधों को मजबूत करने, आध्यात्मिक अनुभवों को बढ़ाने और आत्म-साक्षात्कार को संभव बनाने में मदद करती है।
3. धार्मिक संवाद: पूजा आपको ईश्वर के साथ संवाद करने का अवसर प्रदान करती है। यह आपको अपनी भक्ति, आराधना और विश्वास को व्यक्त करने का मौका देती है और आपकी धार्मिक साधना को स्थायी बनाने में मदद करती है।
4. मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य:पूजा एक ध्यान केंद्रित क्रिया है जो आपके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है। यह मानसिक तनाव को कम करने, मन को शांत करने, और स्थिरता एवं स्वस्थ मनोवृत्ति का विकास कर सकती है। 5. सामाजिक संबंध:पूजा आपको धार्मिक संगठनों में संजोग बनाने और समुदाय के सदस्यों के साथ संबंध बनाने का एक अवसर प्रदान कर सकती है। यह आपको सामाजिक अनुबंधों, संस्कृति और परंपराओं के साथ जोड़ सकती है।पूजा के लाभ व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर भिन्न हो सकते हैं और धर्मानुसार भी बदल सकते हैं। पूजा धार्मिक आदर्शों और आपकी नियमितता के साथ संबंधित होती है, जिससे आप उसके अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
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